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Tuesday, March 30, 2010

मेरे पापा

 कल अपने पापा से मेरी बात हो रही थी...अचानक ही कहने लगे बेटी तुम्हे देखे कितने दिन हो गये...गर्मी की छुट्टियाँ आते ही मायेके जाने की तयारी शुरू हो जाती है लेकिन इस बार शायद जाना ना हो पाए...पापा हमेशा कहते है बेटियों को जन्म दो, इतने प्यार से उन्हें पालो पोसो बड़ा करो और फिर एक दिन उन्हें देखने के लिए भी तरस जाओ...चिडियों सी चहचहाती पूरा घर गुलजार करती ये बेटियाँ एक दिन सब सूना कर परदेश चली जाती है...ये उनकी एक बड़ी शिकायत है इस समाज से...उनकी इन्ही सारी बातो को याद करते करते कल कुछ पंक्तियाँ लिख गयी....

पापा आज आपकी बहुत याद आ रही है...
वो पिछला गुजरा जमाना, वो मेरा बचपन सुहाना...
हमारा बारिश में भीगना, फिर माँ की डांट से बचाने के लिए आपका दुकान में छुपा लेना...
साथ बिठाकर खाना खिलाना, मेरे सारे गणित करवाना...
मेरे रिजल्ट आने पर खुद से ज्यादा खुश आपको देखा है मैंने...
दिवाली के पठाखे लाना, छट के घाट घुमाना...
होली में खुद ठंडाई बनाना और दशहरे में स्कूटर से पूरा शहर घुमाना...
जिंदगी जीना तो आपसे ही सीखा है मैंने...
तराने गुनगुना कर माँ को छेड़ना, फिर माँ का मुस्का कर पलट जवाब देना...
इस प्यारा भरे रिश्ते की छाँव में हम कब बड़े हो गये पता भी नहीं चला...
मुझे याद है जब मैंने पहली बार खाना बनाया था...
और आपने उस तेज़ नमक की दाल को भी कितने चाव से खाया था...
फेरो के समय घूँघट की आड़ से धीरे से देखा था मैंने आपको...
नम आँखे और हलकी मुस्कान लिए चुप-चाप बैठे थे आप...
अपनी रानी बिटिया किसी और को सौपते हुए आपका हाथ भी कांपा था...
याद है मुझे कितना रोये थे आप कलेजे से लगा अपनी बेटी को...
जीवन की सफलता असफलता का ज्यादा ज्ञान नहीं मुझे...
लेकिन आपकी बेटी बनकर जन्म लेना ही मेरा जीवन की सार्थकता है...

Saturday, March 20, 2010

अनजाना रिश्ता..


कुछ तो रिश्ता है उनसे जो ये दिल उन्हें अपना मानता है ,
क्या है,क्यों है,इसका जवाब तो बस रब्ब ही जानता है.
हर घडी जेहेन में बस ख्याल है उनका,
देख ले झलक एक पल तो दिल को सुकून मिल जाता है।
न जाने कैसी कशिश है उनकी आवाज़ में,
वो बात न करे तो हमसे तो सारा जहाँ चुप-चाप सा नजर आता है॥

यकीन नहीं है खुद पे और अपनी किस्मत पे भी,
इसलिए उनके खफा होने का ख्याल दिल को रुलाता है।
अनजान हैं वो इन सब से ,कुछ नहीं जानते,
कि कोई अपनी आंखों में उन के सपने सजाता है॥

कहते हैं खोना-पाना दुनिया का दस्तूर है,
पाना नहीं चाहते उन्हें हम,फिर खोने से दिल डरता है।
यूं ही हँसते मुस्कुराते रहे वो ज़िन्दगी भर,
उनके हिस्से के आंसू भी मुझे मिले,बस येही फरियाद अब दिल करता है॥

Thursday, March 11, 2010

मेरे देश की फिजा


मेरे देश की फिजा बदली बदली सी है आज कल

लगता है ये भी पश्चिम से हो कर के आई है

हमारे साधू महात्मा , इंसान भी नहीं रहे ,

भगवान दिखने वाली आँखों में … वासना छाई है !!

हम कितने भोले है किसी को भी भगवान बना देते है ,

आडम्बर और पाखंड की ये हमने कोनसी दुनिया बसाई है ?

लगता है हवा पश्चिम से हो कर के आई है !!

महिलाओ को आरक्षण दिलाने की होड़ में सारे पुरुष लग गए ॥

अकेली महिला फिर भी पुरुषो की हवस से कहा बच पायी है !!

सर पे पल्लू ढकने वाली भारतीय महिला के तन ढकने को पूरे कपडे नहीं है ,

शर्म हया आँखों से गायब है .. ये संस्कृति हमने कहा से अपनाई है ?

लगता है हवा भी पश्चिम से हो कर के आई है !!

दूध की नदियाँ बहाने वाले भारतवासियों के तन में अब नकली है खून भी .

पिज्जा बर्गर खाने वाले मस्त है ..दो वक़्त रोटी खाने वालो के लिए कमर तोड़ महंगाई है

सोने की चिड़िया तो उड़ गयी कब से ही.... इस आधुनिकता ने तो भारत माँ की रातो की नींद भी उड़ाई है ॥

मेरे देश की फिजा बदली बदली सी है आज कल

लगता है ये भी पश्चिम से हो कर के आई है॥

Wednesday, March 10, 2010

दोस्ती....


this poem is 4 my best of best frnd,,he always tries to make me smile,,
actually not smile bt laugh,,
he is really awesome॥i love him as a frnd ....
एक चेहरा था अनजाना सा,अजनबी सा,बेगाना सा,,,
नाम तक भी उसका मालूम न था,पर था वो कोई दीवाना सा
इत्तेफाक से एक दिन मुलाकात हुई और हम दोस्त बन गए
साथ वक़्त बिताया और एक-दूजे को समझने लग गए
मेरा गम भुलाने में उसी ने मेरा साथ दिया
इतना हसाया अपनी बातों से की मुझे रोना भुला दिया
मेरे होंठो की हंसी,आँखों की चमक उसी की वजह से है
और दोस्ती पे मेरा विश्वास भी उसी की वजह से है
काश इस रिश्ते में कभी कोई दरार न आए
और है दुआ रब्ब से की वो जो चाहे जिंदगी में उससे बस वो मिल जाये॥

Sunday, March 7, 2010

happy womens's day (याद)


खुद की आँखों को नम रख के , उसने हमेशा हम को हँसना सिखाया
खुद गीले में सोती रही हमेशा.... हमे सूखे में सुलाया
खुद हमेशा लडखडाती रही जिन्दगी के हर कदम पे,
पर हमे हमेशा ....संभल के चलना सिखाया

वो भूखी रही हमेशा ....हमे खिलाने के लिए ,
ज़माने से लडती रही... हमे अपनी पहचान दिलाने के लिए
आँखों की रौशनी कम हो गयी थी उसकी,
फिर भी उसने हमेशा हमे सही रास्ता दिखाया

वो खुद किसी और के सहारे जिन्दा थी,
पर हमे ..अपने पैरो पे खड़ा होना सिखाया
अपना पूरा जीवन लगा के उसने ... हमारा ये अस्तित्व बनाया,
हम खुद कुछ कर सके ....हमे इस लायक बनाया
हम इतने नालायक हो गए.. इन सब की परवाह नहीं की,
वो हमे हर मिनट याद करती रही , हमने उसे हर दिन भुलाया

happy womens's day

Tuesday, March 2, 2010

नयी शुरुआत..

दिल में गर दर्द हो तो कागज़ पे बयां करूँ
नीरस सी इस ज़िन्दगी में कलम किस के नाम करूँ
वो गए तो सब वजह भी साथ ले गए
अब दुविधा में हूँ की कहा से नयी शुरुआत करूँ ॥

दर्द को भी अब दर्द होने लगा है हमे देख कर
आंसू भी सूख गए हैं.. आँखों में रो-रो कर
अब बस दुआ है की वो खुश रहे
सुकून से जी लेंगे हम उन्हें हँसता देख कर

कुछ लोग मिले ऐसे उनके जाने के बाद
हमे हँसता देखने चाहते हैं इतना रोने के बाद
सच है की प्यार क बाद कुछ दिखाई नहीं देता
पर दोस्त ही काम आते हैं उसके बिछड़ने के बाद
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