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Saturday, January 28, 2012

काश..


काश कैची होती , वक्त को काट लेती
सिलबट्टे पर ग़मों को बाँट लेती
काश नजरें ना होती कमजोर मेरी
आसानी से खुशियों को छांट लेती |

भर लेती अच्छे दिनों को अचार के मर्तबान में
जला देती बुरे दिनों को दूर कहीं शमशान में |
जो मेरी गली में होता अक्सर फेरा तेरा
मैं तुझ से थोड़े सुख उधार मांग लेती ..|

बदलना ही तेरी फितरत थी , बता देता
मैं तुझको कलेंडर सा दिवार पर टांग लेती |
तू वादा करता मुझसे, मौत के परे मिलने का
मैं उसी समय जिन्दगी को उलांग लेती |

जो मेरी गली में होता अक्सर फेरा तेरा
मैं तुझ से थोड़े सुख उधार मांग लेती
काश कैची होती , वक्त को काट लेती
सिलबट्टे पर ग़मों को बाँट लेती ..||


Friday, January 13, 2012

कल फिर यादों में, हम मिलें है


कल फिर यादों में, हम मिलें है
घर की सफाई में ,
ताक में पड़े , कुछ पुराने गम मिले है
कल फिर यादों में, हम मिलें है ||

पीला पड़ चुका, पुराना ख़त तुम्हारा
मेरे चेहरे को आज भी, लाल कर देता है
पहले ही निरुत्तर मैं ,
और वो फिर इक , नया सवाल कर देता है !
इन शब्दों से ना जाने, कितने जख्म मिले है ||
कल फिर यादों में, हम मिलें है ||

धुंधली होती है लिखावट , यादें हमेशा ताज़ी होती है
चेहरे की झुर्रियों में भी, कहीं कहानियां छुपी होती है
हमे जीने के आज फिर नये वहम मिले है |

घर
की सफाई में ,
ताक में पड़े , कुछ पुराने गम मिले है
कल फिर यादों में, हम मिलें है ||

Sunday, January 8, 2012

STOP EVE TEASING :) घूरना बंद करो



ना जाने, मैं आईना हूँ , या हूँ मैं कोई अप्सरा ?
घूरते है लोग मुझे ऐसे , घर से निकलते ही |
हर एक की आँखें, करती है पीछा मेरा , रस्ते पर |
हर रोज होता है चिरहरण मेरा, उन आँखों से |
मुझे प्रतीत होता है , जैसे रोड पर खड़ा हर शख्स
कर रहा हो बलत्कार मेरा, आँखों से अपनी |

बस एक चीत्कार सी उठती है मन में मेरे ,
जो घर लोटने पर , आसुओं में कहीं छिप जाती है |
वो जो कहते थे, की हया होती हैं आँखों में
अब देखें वो आ कर , सिर्फ हवस भरी हुई है |
शर्म से ...जो आँखे झुकी रहती थी कभी
आज वो आँखे मेरे बदन पर गडी हुई है ||

Friday, January 6, 2012

तीसरी गजल



ना शराब से है ना शबाब से है ,
मुझे मोहब्बत सिर्फ कलम किताब से है ||
तुझे मेरी जिन्दगी के खाते में, कोई गड़बड़ी नहीं मिलेगी ,
मैंने जी जिन्दगी, बड़े हिसाब से है ||

वो जिनकी आँखों को चुभती है, हँसी मेरी
वो सब कहतें है , हम बड़े खराब से है |
पर मै जो हूँ , वही दिखाता हूँ दुनियां को
मुझे सख्त नफरत, चेहरे पर नकाब से है ||

हम उठते है लेट , सोतें है लेट
हर काम भी हम करते है लेट |
हम अपने आप में थोड़े नवाब से है...||

वो सवाल उठा कर दुबक गया अपने बिल में
लोग कहतें है उसको डर मेरे जवाब से है |
पर हम सच को कहतें है सच , और गलत को कहतें है गलत
इसलिए उन्हें लगता है, हम बड़े बेहिसाब से है |
ना शराब से है ना शबाब से है ,
मुझे मोहब्बत सिर्फ कलम किताब से है ||
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