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Sunday, February 26, 2012
तेरे ख्याल अनमोल
अलमारी के लोकर में. तेरे ख्यालों को महफूज रखता हूँ
मैं कहीं भी रहूँ , आँखों में तेरी तस्वीर, जरुर रखता हूँ |
एक पल भी खाली रहूँ तो, आती है तेरी याद
इसलियें मैं खुद को, हमेशा मशरूफ रखता हूँ |
करता हूँ घुमा फिरा के तेरी बातें सबसे
देख कितना मैं, तुझे मशहूर रखता हूँ ||
चाँद में देखूं तुझे , मुझे बदली में भी तू नजर आये
दिल में हमेशा प्यार का फितूर रखता हूँ |
कहतें है.. तेरा नशा शराब से बड़ कर है
इसलियें में खुद को तुझ से दूर रखता हूँ |
अलमारी के लोकर में. तेरे ख्यालों को महफूज रखता हूँ
मैं कहीं भी रहूँ , आँखों में तेरी तस्वीर, जरुर रखता हूँ |
Friday, February 17, 2012
नया मुसाफिर ...
मेरे दिल के शहर में इक नया मुसाफिर आया है
वो रास्तों को मेरे , बदलना चाहता है
और दिल भी , उसकी ऊँगली पकड़ कर, चलना चाहता है ||
उसके आने से रास्ते दिल के महकने लगे है
प्यार के पल , पंछी बन , चहकने लगें है
हर "वक्त" उसके साथ, खिलना चाहता है
दिल फिर साँसों की धुन पर मचलना चाहता है
दिल फिर साँसों की धुन पर मचलना चाहता है
मेरे दिल के शहर में इक नया मुसाफिर आया है
दिल उसके इशारों पर चलना चाहता है ||
वो मुसाफिर इक जन्म के लिए यहाँ ठहर जाएँ
उसके नाम... मेरी ..शामों सहर जाएँ
चिकने रास्तों पे, अब दिल ख़ुशी से, फिसलना चाहता है
मेरे दिल के शहर में इक नया मुसाफिर आया है
वो रास्तों को मेरे , बदलना चाहता है
और दिल भी उसकी ऊँगली पकड़ कर, चलना चाहता है ||
Saturday, February 4, 2012
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल :)
बहुत दिनों बाद कुछ बहुत अच्छा लिखा है , उम्मीद है आप को पसंद आएगा , शब्दों को अपनी माँ से जोड़ कर देखना हर शब्द सांस लेता महसूस होगा :)
वक्त के पार ले चल , किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल
इक अरसे से उसने देखी नहीं ख़ुशी , मुस्कराहट उसके लिए दो चार ले चल
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल |
कब से अकेले खड़ी है वो थामे उम्मीद का दामन
वक्त के थपेड़ों ने भी उसे टूटने ना दिया
उसके आस पास एक मजबूत रिश्ते की दीवार ले चल
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल |
एक उम्र से उसने अपने लिए कुछ नहीं माँगा
उपहार "जिन्दगी" का , लोगो की सेवा में अर्पण किया
आज तू काबिल उसकी वजह से , उसके लिए पूरा बाजार ले चल
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल |
मुद्दतों से उसकी हंसी नहीं सुनी किसी ने
आँखें उसकी भीगी नहीं ख़ुशी से कभी
आज उसके लिए कोई मुस्कराता हुआ विचार ले चल
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल |
गर तू ज़माने के बोझ तले दबा है
तेरे ऊपर है जिम्मेदारियां नई
छोड़ सारे उपहार , उसके लिए सिर्फ प्यार ले चल
किसी नयी दुनिया में इस बार ले चल |
Wednesday, February 1, 2012
गजल 4
रात भर जागा हूँ मैं , मुझे सुबह का उलहाना मत दो
बड़ी मुश्किल से सीखा है खुश रहना ,
फिर से मुझे आंसुओं वाला जमाना मत दो
तनहा होता हूँ घबराता हूँ , मैं ही जानता हूँ ,कैसे अकेले रह पाता हूँ
अब तुम ऊपर से, मुझे विराना मत दो
रात भर जागा हूँ मैं , मुझे सुबह का उलहाना मत दो |
आँखों से नमी दूर होने का नाम नहीं लेती ,
मेरे चेहरे की मुस्कान , कोई शाम नहीं लेती
अब फिर मुझे मौसम सुहाना मत दो
रात भर जागा हूँ मैं , मुझे सुबह का उलहाना मत दो |
जिसने चाहा तब लूटा , मै बिखर बिखर के फिर टूटा
मुझे नया कोई फ़साना मत दो ..|
माना मेरे चेहरे पर दिखती है तुम्हे कहानियां कई
पर खुदा के लिए, फिर मुझे नाम दीवाना मत दो
रात भर जागा हूँ मैं , मुझे सुबह का उलहाना मत दो |
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