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Sunday, November 17, 2013

कुछ हाइकू :

१. ममतामयी 
तू सोयी चिर निद्रा 
हम अकेले।  

२. काक रुदन 
कर भंग कब्र कि 
गहरी निद्रा। 

३. मेघ बरसे 
नैनो में घनघोर 
सूखा आँगन। 

४. मन अशांत 
कर ध्वस्त अहम 
परमानन्द। 


2 comments:

Shubham Vyas said...

बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं "शुभम" , गागर मैं सागर की तरह.।

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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