Followers

Wednesday, January 15, 2014

उसकी डायरी के पन्ने....!

उसकी डायरी के पन्ने ...

मुझे आईना  दिखा रहे थे
मैं कितना खुदगर्ज हूँ ये बता रहे थे
उसके हर शब्द में खालिस सच्चाई थी
मेरे संग भी उसके जीवन में तन्हाई थी ?
उसके शब्द मुझ पर अपना हक़ जाता रहे थे
मैं कितना खुदगर्ज हूँ ये बता रहे थे :)

उसकी डायरी के पन्ने। . :)

तूफ़ान सा उठ रहा था सर्दी कि उस  रात में
मैं डूब चूका था सर तक, कागज पर फैले जज्बात में
उसके शब्द मेरे दामन पर  कालिख लगा रहे थे
पर मेरे चेहरे पर पड़ी धुल हटा रहे थे
मैं कितना खुदगर्ज हूँ ये बता रहे थे :)

उसकी डायरी के पन्ने ..

हम खूबसूरत धोखों में अब तक यूँ ही उलझते रहे
जमीर बेच कर खुद को जमीदार समझते रहे
आज उसके शब्द , सच्चे प्यार का मोल समझा रहे थे
मैं कितना खुदगर्ज हूँ,  ये बता रहे थे :)

.

"सच्ची मोहब्ब्त को समझा है
इन  पन्नों से गुजर के हमने। ...
रात भर मेरी आँखों से बरसे है
उसकी डायरी के पन्ने ".…  :)
Related Posts with Thumbnails