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Monday, June 30, 2014

बीती यादें बचपन की.....


काश फिर कोई जादू हो जाये
बीते दिन बचपन के , फिर लौट आये

 वो हरफनमौला जिंदगी, बेफिक्री भरपूर
दुनिया की दुनियादारी से कौसो मिल दूर

फिर कोई प्यार खिलौना , मेरी आँखों को भाये
बीते दिन बचपन के , फिर लौट आये !!


के अब भी ख्वाबों में मेरे बचपन खिलखिलाता है
रोज किसी बहाने से मुझे अपने पास बुलाता है
फिर ये जिंदगी मासूम मुस्कराहट में समा जाए
बीते दिन बचपन के , फिर लौट आये  !

वो बचपन जिसकी दुनिया में...
हर गलती माफ़ हो जाती थी...
बारिश  में कागज़ की कश्ती...
भी उपलब्धि कहलाती थी...
वो तैरती कश्ती वापस से मुझको...
बचपन की सैर कराये
बीते दिन बचपन के , फिर लौट आये !!


नकली ख़ुशी और जाली हँसी  अब और चलायी नहीं जाती
खुशियों में ग़मों की परछाई मिलाई नहीं जाती
फिर गीली मिटटी से कच्चे घर बनाये
बीते दिन बचपन के , फिर लौट आये !

1 comment:

Unknown said...

true..gr8 days...

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